मैं' प्रीती 'शादी के जोड़े में खुद को देखकर, दिल को समझा रही हूं, अब यहां से चलना होगा, ये घर पराया हो जायेगा, यहां सबकी दुलारी, वहां क्या अपनी जगह बना पाऊगी, तब तक अनु ( मेरी प्रिय सहेली) आकर कान में चिल्ला देती है, कहां खोई है, जीजाजी के यादों में,
मैं.......... अभी आने का समय मिला,
अनु........ क्या करती, मेरे घर भी मेहमान आये हुए थे,5 दिन रहकर आज गये, अब जाकर शांती मिला,