'खूबसूरती' मेरी दुश्मन है

'खूबसूरती' मेरी दुश्मन है

मैं' प्रीती 'शादी के जोड़े में खुद को देखकर, दिल को समझा रही हूं, अब यहां से चलना होगा, ये घर पराया हो जायेगा, यहां सबकी दुलारी, वहां क्या अपनी जगह बना पाऊगी, तब तक अनु ( मेरी प्रिय सहेली) आकर कान में चिल्ला देती है, कहां खोई है, जीजाजी के यादों में,

मैं.......... अभी आने का समय मिला,

अनु........ क्या करती, मेरे घर भी मेहमान आये हुए थे,5 दिन रहकर आज गये, अब जाकर शांती मिला,

            तेरे दुल्हे राजा की फोटो दिखा, मैं भी तो देखु , मेरी परी जैसी सहेली के काबिल है या नहीं,

मैं..........4 घंटा बाद बारात आ जायेगी, उसी में देख लेना, फोटो मम्मी की अलमारी में है,

अनु........ अपने दिल से लगाकर रखना चाहिए, जीजाजी अलमारी में क्या कर रहे है, मैं अभी घर जा रही

             हूं, दो घंटा बाद तैयार होकर आऊंगी,

मैं......... देर मत करना,

"मम्मी, दादी, फुआ, चाची सभी औरतें आकर अपनी-अपनी सलाह दे रही है कि किस तरह ससुराल में रहना है, दादी........ प्रीती यहां हमसब तेरे हर नाज-नखरे को उठा रहे थे, वहां ससुराल है, किसी भी लड़की को ससुराल में बसने के लिए, कान में रूई और मुख पर ताला लगाना पड़ता है, फुआ....... प्यार से बोलना, आवाज ऐसी कि कोई सुने तो कोई ना सुने, मम्मी....... हमारे यहां की शिकायत करे तो भी कान-मुख बंद रखना, कुछ बोलने की जरूरत नहीं, युग कितना भी बदल जाय बहू को सताने और ताना देने के लिए, आज भी हमसब 60 साल पीछे के समय में है"

मैं खामोश होकर, सबकी बातें सुन रही थी, डर इतना लग रहा था, कि मैं समझ नहीं पा रही थी कि ससुराल जा रही हूं या 'सेन्ट्रल जेल' पता नहीं वहां मेरे साथ कैसा सलूक किया जायेगा, तब तक भाभी आकर कान में बोलती है..... सुहागरात के दिन, पति की हर बात मानना और उनकी हर इच्छा पूरी करना, वो ही तेरे पति परमेश्वर होगे, वो खुश तो सब खुश,

बाहर से भैया चिल्लाते हुए आ रहे है, बारात विश्राम गृह तक आ गई है, वहि सबके नास्ते-पानी का इंतजाम किया गया है, तुम सब भी, द्वारपूजा और 'वर-माला'( जय-माला) के लिए तैयार हो जाओ, मैं भैया को इतना परेशान देखकर,पापा की बहुत याद आ रही है, आज पापा रहते तो भैया को हिम्मत मिलता, 5 साल पहले ही (सूगर की बिमारी) के कारण, हमसब को छोड़कर चले गये, वह जाते-जाते मेरे शादी के लिए रुपये जमा करके गये, भैया ने भी अपने तरफ से कोई कमी नही रखा है,10,00,000 रु देकर मेरे लिए, डाक्टर पति चुना है, लड़के कि मां शिक्षका है, पापा फौज में ऑफिसर है, उनके पास पैसे कि कमी नहीं है, फिर भी भैया को रुपये देकर दुल्हा खरिदना पड़ा,

अनु........ मैं आ गई,

मैं......... बारात भी आ गई,

अनु........ तो तू बैठ, मैं जीजाजी को देखकर आती हूं,

'द्वारपूजा' हो रही थी, अनु ने दूल्हे को वही देखा और दौड़ते- भागते मेरे पास आयी,

अनु..........( हांफ रही थी) तू लड़के को देखकर शादी के लिए ' हां 'बोला है,

मैं......... हां, एक मंदिर में, दोनों तरह से, दोनों के घरवाले आये थे, वही मैं राकेश जी से मिली थी,

अनु....... प्रीती कहां तू, और,,,,,,,,,,,,,

मैं........ क्या हुआ,

अनु........ तू दूध जैसी गोरी ,चांद जैसी प्यारी और सुन्दर, जीजाजी काले,तुझ पर घरवालों का दबाव था,

मैं........ऐसी बात नहीं है, मेरी मर्जी से शादी हो रही है,

अनु........ बुरा मत मानना, पर तेरी और जीजाजी की जोड़ी, मेरी समझ से बाहर है,

मैं........ ज्यादा दिमाग मत लगा, मैं उनसे सुन्दर हूं तो अच्छी बात है, उनका ध्यान किसी और कि तरफ

            नहीं होगा, दिन-रात मुझे ही देखा करेगे,

'फुआ आ जाती है, वरमाला का समय हो गया, मुझे अपने साथ स्टेज पर ले जाती है, वरमाला की रश्म पूरी होती है, शादी बहुत ही धुम-धाम से होती है, भैया ने मेरे ससुराल वालों का खास ख्याल रखा, वो सब खुश थे, शादी के बाद विदाई का समय आता है, मैं खुद रोती हुई सबको रुलाकर ससुराल चल दी, दोपहर तक राकेश जी के घर पहुंच जाते है,

वहां मेरे स्वागत में सभी नजरे बिछाये बैठे थे, सबकुछ अच्छा था, मैं थोड़ी संतोषजनक हुई, दूसरे दिन प्रीतिभोज ( बहुभात ) का प्रोग्राम होता है, मुझे सजाकर मंडप में बैठा दिया जाता है, आने वाले मेहमान मेरे हाथ में उपहार (Gift ) दे रहे थे, मैं उन्हें नमस्तें कर रही थी, सासुजी कि सहेलियां उनसे बोल रही थी, कहां से ढुढ़कर लाई, चांद सी दुल्हन, पतिदेव से भी उनके दोस्त मजाक कर रहे थे कि वो भाग्यशाली है, उन्हें प्यारी सी दुल्हन मिली,

पार्टी लगभग 11.30 p.m तक चली,12 बजे तक मेहमान जा चुके थे, दोस्तों ने मेरे पति से कहा..... भाभी को भी डांस के लिए बुलाते है, सबकी जिद पर राकेश जी मुझे भी डांस के लिए ,अपने साथ डांस -स्टेज पर ले जाते है, सास-ससुर घर जा चुके थे, उनके दोस्त और कुछ रिश्तेदार रह गये थे, राकेश जी के कहने पर मैं उनके साथ झूम रही थी, हम दोनों पति-पत्नी झूम रहे थे, सब ताली बजा रहे थे, उनका एक दोस्त हमारे बीच आकर, मेरे साथ झूमने लगा, मैं शर्म से रूक गई, वह राकेश जी से बोलने लगा.... यार, भाभी को बोल ना, मेरे साथ डांस करे,

राकेश जी ने मुझे इशारा किया कि मैं डांस करू, मैं क्या करती, उनकी और उनके दोस्तों की मर्जी पर डांस किया, सब-के-सब ताली बजाने लगे, उनके उस दोस्त ने चुपके से मेरे कान में कहा...... आपकी जोड़ी मेरे साथ जच रही है, काश आप मेरी होती पर मैं राकेश जैसा भाग्यशाली नहीं हूं, उसकी बाते सुनकर मुस्करा दी, अचानक मुझे दिखा कि राकेश जी वहां से हटकर थोड़ी दूर पर खड़े है, मैं डर से रूक गई, सबने बहुत कहा..... भाभी थोड़ा और पर मैंने दुबारा डांस नहीं किया,पार्टी समाप्त हो जाती है, मेरी ननद मुझे लेकर घर में जाती है, रात के 12.30 बज चुके थे, लगभग सब कोई सो चुका था, वो मुझे मेरे कमरे में ले जाकर पलंग पर बैठा दिया और चली गई,

मैं ' दुल्हन के जोड़े ' में बैठी ' सुहाग की सेज ' पर राकेश जी का इंतजार करती रही, एक-एक पल भारी लग रहा था, रात के 1 बजे से कभी घड़ी देख रही थी तो कभी सेज को,2 से 3 बज गये, पर वो नहीं आये, नींद लग रही थी पर मैं सो नहीं पा रही थी, कहीं राकेश जी नाराज ना हो जाय, अकेली बैठे-बैठे बीते दिनों में खो जाती हूं, मैं पापा की लाडली, भैया की दुलारी, और मम्मी की प्यारी, मनमौजी और जिद्दी थी, पापा हमेशा कहते..... मेरी बेटी की शादी, किसी राजकुमार के साथ होगा, इसका दूल्हा इसे ढुढ़ते हुए, खुद मेरे दरवाजे पर आयेगा,एक बार में कोई भी मेरी गुडियाँ को पसंद कर लेगा, लेकिन मैं अपने गुडियाँ का हाथ उसके हाथ में दूंगा, जिसे ये पसंद करेगी,

अचानक आंख भर आई, मैं रो पड़ी, पापा आपकी गुड़ियाँ आज बहुत अकेली है, कोई नहीं उसके साथ, आप हमें छोड़कर क्यों चले गये, आप क्या गये, मेरा नसीब भी चला गया, भैया घर चलाने के लिए कमाते या मेरे शादी के लिए लड़का देखते, बहुत मुश्किल से उन्हें जैसा समझ में आया वैसा रिश्ता चुना, पता नहीं मेरे नसीब में क्या है, आंसू पोछतें हुए घड़ी के तरफ देखती हूं,4 बज रहे है,दरवाजे की तरफ नजर गयी, तो राकेश जी लड़खड़ाते हुए अंदर आते है, शोफा पर गिर जाते है, मैं उठकर उन्हें पकड़ने जाती हूं, वह गुस्साते हुए कहते है......... मैं यहि सो जाऊगा, तुम सो जाओं, मैं उनके जूते खो देती हूं, वह सो जाते है, मैं अपने 'सुगाह की सेज' पर बैठकर रोते-रोते न जाने कब सो जाती हूं,

सुबह मेरी नींद खुल जाती है, दरवाजा खोलने के पहले मैं राकेश जी को जगाती है, उन्हें पलंग पर सोने की प्रार्थना करती हूं,

राकेश........ मैं यहि ठीक है,

मैं........पता है, पर लोगों के सवालों का, मैं क्या जवाब दूंगी, जब वो आपको शोफा पर सोते देखेगे, सुबह

          के छः बज रहे है, मैं दरवाजा खोलने जा रही हूं, आप पलंग पर सो जाओ, मैं नहाने जा रही हूं,

राकेश.........( पलंग पर सो जाते है)

मैं........... नहाने चली जाती हूं, नहाकर पूजा घर में पूजा कर, सास-ससुर के पैर छूती हूं,

'फिर नास्ता-पानी, और सारा दिन रिश्तेदारों के बीच हंसी- मजाक चलता है, मेरे ननदोई ( ननद का पति) हंसते हुए पूछते है....... भाभी सच-सच बोलिएगा, आप कांलेज की है,M.A तक पढ़ाई की है, किसी-न-किसी का दिल आप पर आया होगा,

मैं.........नहीं,

वो......... झूठ मत बोलिए, इतनी खूबसूरत है, कोई आप पर फिदा न हो, ऐसा हो नहीं सकता,

मैं.......... किसी के फिदा होने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरा दिल किसी पर नहीं आया,

वो......... अच्छा जी, हमें विश्वास नहीं,

मैं..........( हंसते हुए) मैं क्या करू, कही आपका दिल तो नहीं फिदा हो गया,

वो........ अब फिदा होकर क्या होगा, शादी से पहले मिलती तो बात कुछ और होता,

मैं...........( शर्म से) उठकर रसोईघर में चली गई,

'कभी ननद मजाक करती तो कभी उसके पति, मैं परेशान हो जाती'

दूसरी रात आती है, राकेश जी सबके साथ बैठकर खाते है, फिर जाकर सो जाते है, उसके बाद मैं और मेरी ननद एक साथ खाना खाते है, जब मैं सोने जाती हूं तो राकेश जी सो चुके होते है, मैं दरवाजा बंद कर उनके बगल में सो जाती हूं, मैं कभी इस करवट तो कभी उस करवट हो रही थी, आधे पलंग पर नींद नहीं आ रही थी, मेरा हाथ उनके तरफ चला जाता है, वो गुस्साते हुए...... क्या करती हो, सो जाओ, मैं चुपचाप सो जाती हूं,

तीसरे दिन ननद-ननदोई भी अपने घर चले जाते हैै, ससुर जी फौज में चले जाते है, सासु जी स्कूल चली जाती है, राकेश जी अपने काम पर चले जाते है, सारा दिन बिताना मुश्किल होता है, इतने बड़े बंगलो में अकेली, घर का देख-भाल करना और खाना बनाना मेरा काम है, इसी काम के लिए, मां और भैया मुझे M.A करवाये है, शाम को सासुजी आती है, राकेश जी सीधे रात में आते है,10.00 a.m to 10.00 p.m इतने बड़े घर में मैं राकेश जी और सासुजी रहते है,रात को जब मैं सोने जाती हूं तो राकेश जी से बात करना चाहती हूँ,

मैं........ आप सो गये, मुझे आपसे बात करनी हे,

राकेश......क्या बात है,

मैं........ आप मुझसे नाराज है,

राकेश...... आज पता चला,

मैं........ मेरी गलती क्या है,

राकेश...... गलती तो मेरी है, जो तुमसे शादी की, तुम्हें तो राजकुमार चाहिए था,

मैं......... ऐसा मैंने कब कहा,

राकेश...... खुद को राजकुमारी समझती हो,

मैं.........नहीं तो,

राकेश...... उस दिन मोहित तुम से क्या बोल रहा था,

मैं........ कौन मोहित,

राकेश....... जिसके साथ शादी वाले दिन डांस कर रही थी,

मैं........ उसका नाम मोहित है, मुझे क्या पता,

राकेश....... क्या बोल रहा था,

मैं........ कुछ नहीं,

राकेश...... उसकी बाते सुनकर हंस रही थी, बोल रही हो, कुछ नहीं,

मैं...........( क्या बोलती, वो बोल रहा था कि मेरी और उसकी जोड़ी जच रही है) मुझे याद नहीं,

राकेश...... अच्छी बात है, मैं तुम्हारे काबिल नहीं हूं,

मैं............. आप ही मेरे सब हो, मुझे किसी और से क्या लेना-देना,

वो नाराज होकर सो जाते है, रोज किसी-न-किसी बात पर नाराजगी, ऐसा लगता है, जैसे 'मेरी खूबसूरती ही मेरी दुश्मन है, लोगों से मिलते, बाते करते, हंसते पर मुझे देखते ही उन्हें क्या हो जाता है, वो इस बात का एहसास करा देते कि मेरी खूबसूरती उनके दिल को नहीं भाती,

मेरी शादी को 5 साल हो गये, लोगों के सौ सवाल, मैं अभी तक मां क्यों नहीं बनी ? किसमें दोष है ? इलाज क्यो नहीं कराया ?किसी बाबा को देखती ? भगवान की पूजा-पाठ तो ठीक से करती हो? किसी का श्राप तो नहीं लगा ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, सब सावाल का एक ही जवाब 'मेरी खामोशी '

“मैं ऐसी खूबसूरत बदनसीब दुल्हन हूं, जो आज भी कुँवारी हूं "

                                                                                      

                                                                                                              Rita Gupta.