प्यार या फर्ज

प्यार या फर्ज
ट्रेन के एक डिब्बे में, कोई दुल्हन अपने दूल्हे के साथ ससुराल जा रही हो, उसी डिब्बे में उसे अपना प्रेमी मिल जाय तो......................... क्या दूल्हन प्रेमी को पहचानने से इंकार कर देगी ? या दूल्हे को छोड़ ,प्रेमी के साथ भाग खड़ी होगी,
सच्ची कहानी है, आप कहानी पढ़ने के पहले, सोचे किसकी जीत हुई होगी ' प्यार ' या ' फर्ज 'की
माही मां-बाप की एकलौती संतान है, बड़े ही लाड-प्यार से पली है, जो कक्षा दशवी की छात्रा है, जिसके स्कूल जाने-आने के लिए, सहेलियों का साथ है, फिर भी कभी-कभी घरवाले भी स्कूल छोड़ने जाते है,
राज B.A का छात्र है, वह माही को घर से स्कूल और स्कूल से घर जाते-आते देखता है, दोनों के बीच दोस्ती होती है, और धीरे-धीरे दोस्ती प्यार का रूप धारण कर लेती है,जब ये खबर माही के घरवालों को मिलती है तो, वो राज को धमकी देते है कि माही का पीछा करना छोड़ दे, उसकी शादी तय कर दी गई है,
प्यार पर 'पहरा' उसे और 'गहरा' बनाता है, धमकी प्रेमियों को साहसी बना देती है, राज और माही पर कोई असर नहीं पड़ता है, राज माही से पूछता है......... क्या, तुम्हारी शादी तय कर दी गई है, माही........मैं नहीं जानती,राज.......... जानने कि जरूरत भी नहीं, कुछ महीनें बाद, जब तुम बालिक हो जाओगी, तब हम भागकर शादी कर लेगे,
माही के घरवालों को भी इसी बात का डर था, वो स्कूल की गर्मी छुट्टी में गांव जाते हैं, वहि माही का ब्याह कर देते है, सपनें में भी वो सोच नहीं सकती कि उसके घरवाले, शादी जैसे फैसले मेें उसकी राय नहीं लेंगे, माही को महीने दिन के लिए ससुराल में छोड़ देते है, राज को भी नहीं पता कि उसका प्यार, किसी और के बाहों का हार बन गया है,
एक महीने बाद, जब माही अपनी बाकी की पढ़ाई,पूरा करने के लिए,गांव से शहर अपने मायके वालों के साथ आती है, पर शर्म से वह घर से बाहर नहीं निकलती, राज को दोस्तों के माध्यम से पता चलता है कि माही गांव से आ गई है पर उसकी शादी हो गई है, राज को दोस्तों कि बातों पर विश्वास नही, वह अपने प्यार को देखने के लिए, बेचैन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
घरवालों के गुस्साने पर वह स्कूल जाती है, तब राज उसे देख पाता है,'माही के सिन्दूर का रंग देखकर उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है' वह क्या बोले या क्या करें, कुछ समझ नहीं पाता, माही भी आंखे झुकाये स्कूल जाती- आती, माही पराई हो गई है तो क्या हुआ, आज भी वो राज के 'दिल पर राज' करती है, दोनों एक-दूसरे से बाते करना चाहते है, पर पहल कौन करे,
एक दिन हिम्मत करके.....................................
राज......... कैसी हो,
माही........ चुप, ( आंखे भरी हुई)
राज......... ये सब कैसे हुआ,
माही....... चुप,
राज......... मैं जानता हूं, मर्जी के खिलाफ हुआ है, तुम इस तरह खामोश रहोगी तो मैं कैसे जी पाऊंगा,
माही........ अब बोलने को, कुछ नहीं रहा,
राज.......... ऐसा मत बोलो, तुम मेरा प्यार थी, हो और रहेगी,मैं सिर्फ इतना जानता हूं,
माही........ वो सब बीती बाते है, सच हमारे सामने है,मैं किसी की बीबी हूं,
राज.......... उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता,
माही....... मुझे पड़ता है,
राज.......... दोस्त तो हो, तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम, हमसे बाते करोगी, मिलोगी, हम वही पहले वालें
दोस्त बनकर रहेगे,
माही......... ऐसा नहीं हो सकता,
राज......... अब तुम्हारे घरवाले नहीं रोकेगे, उन्हें बोल देना, तुम यू ही बात कर लेती हो,कोई बात नहीं,
माही...... पर,
राज........ अब कुछ मत बोलो, भूल जाओ कि तुम्हारी शादी हुई है, हम दोस्त थे और हमेशा एक-दूसरे से
प्यार करते रहेगे, सिर्फ इतना याद रखो,
माही........ चुप,
'माही पढ़ाई के लिए छः महीना,मायके में रहने वाली है, पढ़ाई के साथ-साथ, राज की दोस्ती भी निभा रही है, सच में वह भूल जाती है कि वह किसी के घर की इज्जत है, किसी की अमानत है, कोई है जो उसका इंतजार कर रहा है, माही के मम्मी-पापा भी शादी-शुदा बेटी को पहले की तरह डाट नहीं पा रहे है, कुछ भी बोलने से रोना शुरू, मैं तुम लोगों को बोझ लगने लगी हूं, अब ससुराल जाऊंगी तो कभी नहीं आऊगी, मम्मी भी सोचती, कुछ दिनों कि मेहमान है, पढ़ाई समाप्त होते ही, दामाद जी आकर ले जायेगे,यही सोचकर सब चुप रहते है, ऐसी ही करके छः महीना बीत जाते है, इन्हीं दिनों में माही ने खुलकर जी लिया, परीक्षा हो जाती है, माही का घर से निकलाना बंद, माही के उड़ान पर ऐसी पाबंदी लगी, जैसे किसी तोते को पकड़, उसके दोनों पंख काटकर छोड़ दिया गया हो, कुछ दिनों बाद ससुराल वालें विदाई का दिन तय करते है, ये तो होना था, ये बात माही कैसे भूल गयी, अब वह ससुराल चली जायेगी,
माही और राज फिर से जुदा हो जायेगे, इस बार राज माही को खोना नहीं चाहता, पर क्या करे और कैसे, कोई रास्ता नहीं दिख रहा, माही अपने दिल को समझा देती है कि जिस तरह एक महीना, वो राज को देखे बिना, उसकी यादों के सहारे, जी ली, बाकी जिंदगी भी कट जायेगी,
सबको यह लगा कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है, माही ससुराल चली जायेगी, राज भी उसे भूल जायेगा, जिंदगी फिर से उन दोनों की, अलग-अलग नई कहानी लिखेगी,
कुछ दिनों बाद, एक 14 साल का बच्चा राज से मिलने आता है,
बच्चा.......... भैया,
राज........... हां, तुम कौन हो,
बच्चा........माही दीदी, आज शाम को 5.30 के ट्रेन से अपने ससुराल जा रही है, जीजाजी लेने आये है,
राज.......... दीदी (माही) ने खबर भेजा,
बच्चा........नहीं, मैं माही दीदी का भाई नहीं हूं, मैं जानता हूं, दीदी आप से और आप दीदी से, प्यार करते
हो, आप चाहो तो उनकी आखरी झलक देख सकते हो,
राज...... बच्चे को गले लगा लेता है, ठीक है, तुम जाओ,
'राज को कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आधे दिन में वो क्या करे, माही तो उस बच्चे को नहीं भेजा, वो क्या चाहती है, अपने पति के साथ, आराम और सम्मान की जिंदगी, या मेरे साथ, हराम और बदनाम की जिंदगी, मुझे क्या करना चाहिए'
राज का दिल फैसला करता है, यही आखिरी मौका है अपने प्यार से मिलने, बिछड़ने और आजमाने का, वह माही से मिलेगा, चाहे जो अनजाम हो, वह अपने दुकान से 5,000 रु लेकर, घर में किसी को कुछ बताये बिना, चल देता है,
उधर माही और उसके पति को छोड़ने ,उसके घरवाले रेलवे-स्टेशन आये है, माही के आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं, उसके मम्मी-पापा भी रोये जा रहे है, उनका दामाद (मनोज) सास-ससुर का प्रणाम कर ट्रेन पर चढ़ जाता है, माही भी मनोज के पीछे हो लेती है, मनोज और माही दोनों खिड़की वाले सिट पर बैठे है, ट्रेन को हरी झंडी मिलती है और ट्रेन चल देती है, ट्रेन के रफ्तार के साथ, माही के आंसू की रफ्तार बढ़ रही है,थोड़ी देर बाद, वो जैसे ही खिड़की के बाहर की तरफ से नजर हटाते हुए, ट्रेन के अंदर देखती है, ऐसे आवाक् होती है कि उसके आंसू रुक जाते है, मानो आंसू जिसके लिए बह रहे थे वो मिल गया,
सच भी यही था, राज उसी डिब्बे में, उसी के सामने वाली सीट पर बैठा था, माही आंसू पोछते हुए थोड़ी खुश होती है, दूसरे ही पल सोच में डुब गई, राज यहां कैसे और क्यों आया है,कभी पति(मनोज) को देखती है तो कभी प्यार(राज़) को देखती है, उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वह किसके करीब और किससे दूर है,
ट्रेन की रफ्तार से तेज दिमाग दौड़ रहा है, दिल और दिमाग में युद्ध छिड़ा है, दिल राज का समर्थन करता है, दिमाग मनोज का, माही का सिरदर्द शुरू हो जाता है, वह सोना चाहती है, मंजिल दूर है, कल सुबह वह ससुराल पहुंच जायेगी, आज की रात ट्रेन में कटेगी, एक-एक स्टेशन माही को फर्ज के करीब और प्यार से दूर किये जा रही है, वो भी तब, जब उसका प्यार(राज) सामने बैठा हुआ है,
राज खामोशी से अपने सीट पर बैठे, किस घड़ी का इंतजार कर रहा है, रात के 8:00 बज रहा है, मनोज ट्रेन के बाथरूम में जाता है, माही और राज अपनी सीट से उठकर, एक-दूसरे के सामने आते है,
माही....... क्यों आये हो,
राज......... तुम्हें लेने,( क्या तुम मेरे साथ भागने के लिए तैयार हो )
माही....... मैं तुम्हारें बिना नहीं रह सकती, पर कैसे भागेगे,
राज......... आने वाले किसी स्टेशन पर मैं उतर जाऊंगा, तुम भी पानी लेने के बहाने उतर जाना, अभी
जाओं ,अपने सीट पर बैठ जाओं, और मेरे इशारे का इंतजार करो,
माही....... ठीक है,
'मनोज आ जाता है, उसके बाद माही और मनोज एक साथ रात का खाना खाते है, बोतल का पानी खत्म हो जाता है, मनोज पानी वाले के आने का इंतजार करता है,
रात के 9:00 बज रहे थे, लगभग ट्रेन में सभी सोने की कोशिश कर रहे थे, एक स्टेशन पर राज पानी लेने के बहाने उतर जाता है, यह देख माही भी खाली बोतल और अपना साइट बैंग लेकर नीचे उतरने जा रही है
मनोज...... कहां जा रही हो,
माही........ पानी लाने,
मनोज...... तुम बैठों, मैं ला देता हूं,
माही........ बैठे-बैठे, पैर दर्द कर रहा है, मैं पानी लेकर आती हूं,
मनोज...... ठीक है, जल्दी आना,
‘माही पानी लेने क्या गई, आने का नाम नहीं, मनोज अपने सीट से उठकर दरवाजें के पास जाता है, वह देखता है कि माही किसी लड़के से स्टेशन पर खड़ी बात कर रही है, मनोज आवाज लगाता है पर वह नहीं सुनती, ट्रेन चल पड़ती है तो माही पलटकर देखती है तो मनोज ट्रेन के दरवाजे के पास खड़ा बुला रहा है मगर माही चुपचाप खड़ी उसे देख रही है, वह समझ नहीं पा रहा है कि हो क्या रहा है, दौड़कर अपनी सीट के पास आकर बैंग लेता और गाड़ी रोकने के लिए जंजीर खींच देता है, थोड़ी देर में गाड़ी रूक जाती है, यह देख राज और माही दौड़कर वहां से भाग निकलते है,
जब मनोज स्टेशन पर उतरता है तो उसे माही नहीं मिलती, ट्रेन भी जा चुकी और माही भी, मनोज को क्या करना चाहिये समझ नहीं पाता, अंत में फैसला करता है कि उसे ससुराल आना सही होगा, जो हुआ वो बताना होगा, सारी रात स्टेशन पर बिताने के बाद सुबह ट्रेन मिली, जिससे वह ससुराल आया,
मनोज को अकेला देख, माही के मम्मी-पापा आवाक्................
मम्मी.......... बेटा, माही कहां है,
मनोज......... मम्मी जी, पानी लेने के लिए स्टेशन पर उतरी, किसी लड़के से बात करने लगी, मैं बहुत
आवाज लगाया पर वह अनसुना की, मैं ट्रेन छोड़ दिया ताकि उसे अपने साथ ले सकु, वह
वहां से भाग गई, मेरी समझ में नहीं आ रहा, ये सब क्या है,
मम्मी....... बेटा, हमारी समझ में भी नहीं आ रहा, कि क्या हुआ,
मनोज......... मम्मी जी, वो लड़का कौन था,
मम्मी....... बेटा, हमें नहीं पता,
मनोज........ मम्मी जी, मैं आज ही अपने घर लौट जा रहा हूं, वहां अपने मम्मी-पापा से बोल दूंगा, कि
माही का तबियत ठीक नहीं था, इसीलए उसे रहने दिया,
मम्मी......... ठीक है बेटा, हम भी उसे ढूढ़ रहे है,
मनोज......... मम्मी जी,माही आ जाये, तो हमें खबर कर दीजियेगा, हम लेने आ जायेगे,
'मनोज दोपहर को ही ट्रेन पकड़, अपने घर लौट जाता है, माही के घरवालों को पूरा विश्वास है कि वो लड़का राज होगा, पता लगाने कि कोशिश करते है, तो पता चलता है कि राज तो अपने घर पर ही है, उनकी चिंता और बढ़ जाती है, अगर माही राज के साथ नहीं तो कही उसके साथ कोई अनहोनी तो नहीं हुआ, कोई उनकी बेटी का अपहरण तो नहीं कर लिया, चिंता से पूरा घर परेशान, गुप्त रूप से खोज-बिन करने पर पता चलता है, राज माही को कहि भाड़ा घर में छिपाकर रखा है, दिनभर अपने घर में दिखता है, रात को माही के पास चला जाता है,
ये पता लगाते देर नहीं लगता कि भाड़ा घर कहॉ है, उसके बाद लाठी, बंदूक के साथ, माही के पापा, चाचा और चचेरा भाई, सब रात 10 बजे वहां पहुंच जाते है, दरवाजा बजता है, राज दरवाजा खोलता है, कोई सवाल-जबाब नहीं, लाठी से राज की पिटाई शुरू, उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर माही दौड़कर आती है, राज को पीछे कर खुद मार खाने लगती है, गुस्से में माही के घरवाले राज और माही दोनों की पिटाई कर देते है,
तब-तक माही की मम्मी आ जाती है वो उन दोनों को बचाने लगती है, हालात काबु से बाहर देख वो माही के चाचा के हाथ से बंदूक छिनकर खुद पर तान देती है,
चिल्लाती है........ मार-पीट बंद नहीं हुआ तो खुद को मार लगी,
माही के पापा..... इस लड़की के लिए अपनी जान दे रही हो, जिसने एक बार हमारे और घर के सम्मान के
बारे में नहीं सोचा, ये मेरे लिए उस दिन ही मर गई, जब दामाद जी का हाथ छोड़ा,मेरे
सिर पर हाथ रखकर कसम खाओ, आज से ये तुम्हारे लिए भी मर गई, बेटी चाहिये तो
मुझे भूल जाओं,
माही की मम्मी......... ऐसे धर्म संकट में, एक तरफ सुगाह (पति), दूसरे तरह कोख( बेटी)
दोनों में जान बसती है, पर रोते हुए,,,,,,,,, मुझे माफ करना माही, मैं
अपने सुहाग का साथ नहीं छोड़ सकती, आज से तू मेरे लिए मर चुकी,
हम दोनों तेरे लिए,
Rita Gupta.