अक्ल कब आयेगी,

अक्ल कब आयेगी,
पीने वालों को, पीने का बहाना चाहिये, जिंदगी दो ही चक्कों पर चलती है, कभी खुशी कभी गम, इन्हें इन दोनों मौकों का इंतजार होता है, खुशी के मौके वालों के लिए सीमा रेखा है, जब-जब खुशी आयेगी तब-तब रम का साथ होगा, पर गम में पीने वालों के लिए कोई सीमा रेखा नहीं, मानो गम ने रम पीने की परमिट दे दिया हो, ये पूरी जिंदगी पीते-पीते घर के सुख-चैन सब पी जाते है, अंत में आंसू पीना पड़ता है,
रम के 'गम' में डूबी एक परिवार की कहानी है,
शर्मा जी के दो बेटे और चार बेटियाँ है, रेलवे में नौकरी करते हुए अपने परिवार की देख-भाल करते है, लड़कियों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजना चाहिए, ऐसे बात पर कभी गौर नहीं किया, दोनों बेटों ( बंटू- चिंटू) को स्कूल में नाम लिखाया गया, शर्मा जी का घर ऐसे जगह पर है, जहां शिक्षा का महत्व लोगों को नहीं पता, वहां के लोगों की जिंदगी कमाने और खाने-पीने तक ही सीमित है, शराब की दुकान, हर दस घर के बाद ही मिल जायेगी,
लोगों के मनोरंजन के लिए, किसी T.V की जरूरत नहीं, हर शाम कोई-न-कोई पियक्ड़ (शराबी) तमाशा शुरू कर देता है, पीने के बाद खुद को राजा और सबको अपनी प्रजा समझता है, कभी हंसता, कभी गाना गाता और कोई उस पर हंस देता तो गंदी-गंदी गालियों की बरसात करता, बाकी सब दर्शक बनकर मनोरंजन करते है,
ऐसे ही मौहल में बंटू- चिंटू बड़े हो रहे है, शराब इन दोनों को या ये दोनों खुद को शराब से कब तक दूर रख पाते, बड़ी मुश्किल से कक्षा 7-8 तक की शिक्षा ग्रहण के बाद, आगे की पढ़ाई इनके वश की बात नहीं रही, दोनों ही स्कूल जाना बंद कर दिया, शर्मा जी ने बहुत कोशिश की ये कम-से-कम माध्यमिक तक की शिक्षा ग्रहण कर ले, पर उनकी कोशिश बेकार,
15 साल का बंटू और 13 साल का चिंटू खुद को शिक्षा से अलग कर आजाद की जिंदगी जीना शुरू कर देते है, पापा जब-तक घर पर रहते, दोनों शरीफ बने रहते, अनेक घर से आंफिस जाते ही दोनों के पंख निकल आते, ये खुद को अपने आस-पास के परिवेश में ढाल चुके थे, शर्मा जी रात को घर लौटते उसके पहले दोनों खाना खाकर सो जाते, वो सोये हुए बच्चों से क्या बोलते और कैसे बोलते,
शर्मा जी सोचते है, दोनों को कोई काम नहीं दिया गया तो गलत संगत में पड़ जायेगे, उन्होंने दो भैंस खरीद कर उनको जिम्मेवारी दे दी, भैंसों की देख-भाल करने की, ताकी उन्हें समझ में आ सके की पैसा कितनी मुश्किल से आता है, वो खुश तो नहीं होते पर क्या कर सकते है, घर से पैसा मिलना बंद हो गया है, अब भैसों को खाना खिलाना, नहलाना, दूध निकालना उसे बेंचना कर रहे है, हाथ पर पैसा मिल पा रहा है, जो शाम को दोस्तों के साथ, मस्ती करने के काम आ रहा है, रात में मस्ती के लिए दिन में तो काम करना होगा, अपने कमाये गये पैसा का हिसाब घर पर नहीं देते,
शर्मा जी भी छोड़ देते है, कम-से-कम घर से पैसा नहीं देना पड़ता, अपने चारों बेटियों का ब्याह, खाते-पीते घर (साधारण घर) में ही करते है, उन्हें पता है उनके बेटे उनका बुढ़ापा का सहारा नहीं बनने वाले, बल्की इन्हें ही उनको देखना होगा, कन्यादान के बाद अब वो चैन की सांस लेते है,
दोनों भाईयों को इतना तो पता चल गया है कि ज्यादा पैसा कमाने के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत है, इसलिए पैसे उड़ाने के साथ-साथ, कुछ पैसे बचाते भी है, लगभग 5 साल बाद पापा के 2 भैसों की संख्या को बढ़ाकर 10 कर दिया, दोनों 10 भैसों का मालिक बन चुके है, बंटू 20 साल का हो चुका है, उसकी मम्मी शर्मा जी से कहती है........ बंटू की शादी कर देते, शर्मा जी गुस्साते हुए....... मेरे पास पैसा नहीं है, जिसे शादी करनी है, वो मेरे हाथ में पैसा रखे तो मैं लड़की देखने निकलुगा, इनका पैसा मेहनत का है तो मेरा पैसा कोई गाछ (पेड़) से तोड़ा हुआ नहीं है, शादी का पूरा खर्च उसे ही करना होगा,
बेचारा बंटू अपनी शादी के लिए खुद पैसा जमा कर अपने पापा को देता है, तब शर्मा जी समधी बनकर लड़की वाले के घर बारात लेकर जाते है, शादी ठीक-ठाक से हो जाती है, कुछ साल बाद चिंटू की भी शादी हो जाती है, शादी के बाद उन भाइयों में अपने-अपने पैसा बचानें की होड लग जाती है, घर में पैसे की कमी नहीं है पर कौन सा पैसा कब और कहाँ खर्च करना जरूरी है, ये नहीं देखा जाता,
शर्मा जी के घर में उनकी कमाई के मालिक वो, बंटू अपना मालिक, चिंटू अपना मालिक, परिवार बड़ा हो या छोटा मालिक एक ही होना चाहिए, जो सबकी जरूरतों को समझ सके, तो ही घर में खुशियां रहेगी, परिवार में कुल 8 सदस्य है, नाम के लिए सब एक साथ रहते है, आपस में अज्ञानता के कारण मतभेद है,
शर्मा जी के घर में उनकी कमाई के मालिक वो, बंटू अपना मालिक, चिंटू अपना मालिक, परिवार बड़ा हो या छोटा मालिक एक ही होना चाहिए, जो सबकी जरूरतों को समझ सके, तो ही घर में खुशियां रहेगी, परिवार में कुल 8 सदस्य है, नाम के लिए सब एक साथ रहते है, आपस में अज्ञानता के कारण मतभेद है,
चिंटू की पत्नी पहली बार मां बनने वाली है, पांचवा महिना चल रहा है, मात्र चार महिना बाद ही लगभग 20-25 हजार रूपये की जरूरत पड़ेगी, चिंटू सोचता है काश पता चल जाता कि उसकी पत्नी के गर्भ का शिशु बेटा है या बेटी, कुछ दोस्त राय देते है, सोना ग्राफी करने की , एक कहता है..... कोई लाभ नहीं, डाक्टर नहीं बताते, दूसरा कहता है........ एक ओझा है जो सिर्फ तेरी बीबी का हाथ देखकर बोल देगा कि बेटा या बेटी,
चिंटू....... तो ठीक है, कल ही उसके पास चलते है,
दोस्त....... भाभी को परेशानी होगी, वह बहुत अच्छा है, कुछ पीने-पिलाने का इंतजाम कर दे, हम उसे
अपने साथ लेकर तेरे घर आ जायेगे, उस पर 'अघोड़ी बाबा' आते है, जो शराब पीये पीना कुछ
बात नहीं बोलता,
चिंटू.......ठीक है, तू बुलाकर ला,
' रविवार का दिन होता है, उसी दिन ओझा को बुलाया जाता है, घर के आंगन में ही उसके बताये गये सामाग्री को तैयार रखा गया, भांग, लौंग, अगरबत्ती, बताशा और एक बोतल शराब, औझा को बैठने को आसन दिया गया, शर्मा जी और बंटू को छोड़कर, घर के बाकी सदस्य वही बैठे है, शर्मा जी काम पर गये है, बंटू गौशाला में है,
ओझा पहले लौंग को दो-दो करके घर के सदस्यों के हिसाब से सजाता है, फूल चढ़ता है, अगरबत्ती दिखाता है और शराब की दो घूंट लगाकर झूमना शुरू करता है, सामने बैठी नई दुल्हन (चिंटू की बीबी) के हाथ को अपने हाथ में लेकर देखता है, नई दुल्हन को, उसका ऐसा करना अच्छा नहीं लगता, वो हाथ छोड़ाना चाहती है, यह देख ओझा और दो घूंट लगाता है और अपने दोनों हाथों से उसके बाये हाथ को देखने के बहाने इस तरह सहलाता है, कि उसे गुस्सा आ जाता है, लेकिन वह हाथ छुड़ाने में असर्मथ है, उसके आंख में आंसू आ जाते है, वह रोने लगती है,
ओझा...........( घरवालों से बोलता है) देखिए, इस पर ऐसी बुरी आत्मा का छाया है, जो मुझको पूजा करने
और हाथ देखने में बाधा कर रहा है,
चिंटू की मां........ तो अब क्या होगा, बाबा
ओझा............... छाया से ज्यादा जिंदी मैं हूं, थोड़ा समय लगेगा, एक बोतल और मंगा ले और बच्चों को
यहां से दूर रखे, मैं बाद में उन्हें देख लुगा, आप सबको भी देखना है तो दूर से ही देखे, दो
घूंट फिर लेता है,
नई दुल्हन.......(अपने घर वालों के पागलपन पर रो रही है कि कितने अंधविश्वासी है, सबके सामने
मुझको गंदी नियत से छू रहा है और ये सब तमाशा देख रहे है)
'ओझा अपनी गंदी नजरों से दुल्हन को देखता है, दुल्हन शर्म से आंखे झुका लेती है, ओझा की दबी हुई हंसी मानों ये कह रही है, कैसा लग रहा है, हाथ छोड़ा कर दिखाओ,
नई दुल्हन....... (आज तक मैं खुद को कभी इतना विवश नहीं पाया, मैं अकेले में भी, किसी से नहीं डरती वाली, आज पूरे घर-परिवार के बीच डर रही हूं, ये कैसी लाचारी है अज्ञानता की)
ओझा....... देखो, तुम सबको लौंग खाना होगा, दुल्हन पर बुरी छाया ने अपना घर बना रखा है, ज्यादा
ध्यान की जरूरत है, चिंता करने की जरूरत नहीं, मैं हूं ना,
'दुल्हन घर में चली जाती और दिल खोलकर अपने दुर्भाग्य पर रोती है, पापा शिक्षित परिवार में ब्याह देते चाहे वो गरीब ही क्यों न होते, मैं कैसे रहूंगी इनके साथ,
उसके बाद एक-एक करके बंटू की पत्नी, दोनों बच्चे, चिंटू और उसकी मम्मी, हाथ दिखाते है, बैठे-बैठे ओझा को 1,000 रुपये की कमाई हो गई, मुफ्त (Free) में पेट भर शराब, जब ओझा जाने लगता है तो
चिंटू........ आपने तो उसका हाथ देखा, क्या है उसके गर्भ में बेटा या बेटी,
ओझा........ अभी बोलना मुश्किल है, कल सुबह में पूजा पर बैठुगा तो अपने अधौड़ी शक्ति से पूछकर
तुम्हें कल शाम को बता दूंगा,
चिंटू......... मैं आऊंगा, आपसे मिलने,
ओझा....... तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं, शाम को तुम दोस्तों के साथ जिस मोड़ पर बैठते हो, मैं
वही आ जाऊंगा,
चिंटू....... ठीक है,
'दूसरे दिन शाम को चिंटू ये जानने के लिए बेचैन, वही पहुंचता है, जहाँ रोज दोस्तों के साथ अड्डा जमाता था, ओझा भी वही आता है, बड़े ही उदास चेहरा बनाते हुए बोलता है कि गर्भ का शिशु 'बेटी' है, चिंटू का चेहरा भी उतर जाता है,
ओझा.......... देख यार, तू इस तरह उदास मत हो, पहले तू दो घूंट पी, फिर मैं उपाय बताता हूं,
ओझा और चिंटू, अब पियक्ड़ (शराबी) दोस्त बन जाते है...............................
चिंटू.......... क्या उपाय है,
ओझा.......... दो-तीन महिने का होता तो मैं गर्भपात की सलाह दे देता, पर
चिंटू.......... पांचवा पूरा हो गया,
ओझा.......... यार, मुझे पता है, मेरे गुरु भी यही बोले, एक उपाय है, मां काली की उपासना कर गर्भ के
शिशु को बदला जा सकता है,
चिंटू........ वो कैसे, बेटी से बेटा हो जायेगा,
ओझा....... बेटी है यह तो पक्का है, कोशिश करते है अभी चार महीना यानि 120 दिन है,120 दिनों के
पूजा-पाठ से देवी जरूर खुश होगी, उसी बेटी को बेटा बना देगी,
चिंटू....... ऐसा हो सकता है,
ओझा.....तुझे देवी पर शक है या मुझ पर,
चिंटू....... नहीं, मुझे किसी पर शक नहीं, तुम पूजा शुरू कर दो,
ओझा..... पूजा करना मजाक नहीं, कुछ नियम और कुछ शर्त है, तुम मांनो तो ही पूजा शुरू कर सकते है,
चिंटू........ बताओ, क्या करना होगा,
ओझा...... शर्त-तुम किसी से भी नहीं बोलोगे कि गर्भ के शिशु को बदलने के लिए मुझसे पूजा-पाठ करा
रहे हो, यहां तक की अपनी पत्नी से भी नहीं, सिर्फ हम तुम जानेगे और कोई नहीं,
चिंटू......... ठीक है, जैसा तुम बोलो,
ओझा........ नियम-बहुत ही नियम-कानून से पूजा होता है, प्रतिदिन के 200 रु पूजा में खर्च है, यानि
24,000 रुपया खर्च होगा, जिस दिन से पैसे का इंतजाम कर दो,मैं पूजा शुरू कर दू, पर याद
रहे बीच में एक दिन के लिए भी पूजा रूकना नहीं चाहिए,
चिंटू.........मैं कल 10,000 रू दे देता हूं, आप पूजा शुरू करो, बाकी का रुपया भी महीना दिन में ही दे दूगां,
ओझा...... ठीक है, मैं चलता हूं, मेरा फोन नम्बर रखो, फोन कर देना,
'नासमझ चिंटू ' बेटा ' की चाह में जो करना था वो कर दिया,
दिन बीतते है, आठवां महीना आ जाता है, गांव में शादी है, ये बोलकर शर्मा जी अपनी पत्नी के साथ निकल जाते है, चिंटू का दोस्त अपनी पुरानी टैक्सी बेच रहा है, चिंटू उसे खरीदना चाहता है,
चिंटू की पत्नी...... आप अभी गाड़ी मत लो, न जाने कब मुझमें 20-25 हजार खर्च की जरूरत पड़ जाय,
चिंटू....... अब मैं तेरे से पूछकर हर काम करूगा, ऐसा मौका हमेशा नहीं मिलता, बच्चा घर में होगा तो
दाई 1,000 रुपया में सब कर देगी,
पत्नी…....... मैं घर पर नहीं रहूंगी,
चिंटू......... तो अपने बाप के घर से 25 हजार मांग लेती,
पत्नी........ . ये बच्चा आपके खानदान का नाम रौशन करेगा, आपका वारिश है, पापा क्यों पैसा देंगे,
चिंटू......... बहुत जुवान लड़ाती है,( धक्का देते हुए) एक तो बेटी लेकर बैंठी है गर्भ में, ऊपर से बड़ी-बड़ी
बाते करती है, मुझे टैक्सी लेना है, अलमारी सें 50,000 रु निकालकर चला जाता है,
'चिंटू टैक्सी लेकर बहुत खुश है, लगभग 20 दिन बाद एक रात 12 बजे के बाद, उसकी पत्नी का दर्द शुरू हो जाता है, वो बोलती है कि अस्पताल ले चलिए, चिंटू गुस्साता है और अपनी भाभी से बोलता....... उसे देखिये, क्या हो रहा है, भाभी दुल्हन को दूसरे कमरे में ले जाती है, एक चौकी (खाट) पर सुला देती और बोलती है...... दर्द को रोककर रखों, देखती हूं कि मैं क्या कर सकती हूं,
भाभी......... पति (बंटू से) देखिये ना, उसे दर्द हो रहा है, अस्पताल ले चलते है,
बंटू........... मेरे पास पैसा नहीं है,खाली हाथ जाऊ,
भाभी......... देवर (चिंटू) से बोलती है, आप गाड़ी बुलाकर ले आये, उसे अस्पताल ले जाना होगा,
चिंटू........ मेरे पास पैसा नहीं है,
भाभी.......... बिना मतलब का पुराना टैक्सी में 50,000 रु फंसा कर रख दिये, जो चलती भी नहीं, आपके
भैया के पास भी पैसा नहीं है, मैं क्या करू,
चिंटू........ मैं नहीं जानता, मुझे परेशान मत कीजिए, शाला मेरा मां-बाप भी पागल है, ऐसे हालत में गांव
चला गया, रहता तो कुछ तो करता,
'भाभी परेशान है, तीनों तीन कमरें में है, बंटू अपने कमरे में, चिंटू अपने कमरे में, दुल्हन एक कमरे में दर्द से परेशान, बेचारी भाभी तीनों कमरें में, दौड़ा-दौड़ीकर रही है, दोनों भाई में से कोई आगे बढ़कर कुछ करने को तैयार नहीं, उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है, वह गलत फैसला ले लेती है, उसे लगता है कि वह अपनी निगरानी में गर्भवती को रख सकती है, यह सोचकर भाभी गर्भवती के पास ही बैठकर उसे हिम्मत दिलाती है,
नतीजा यह हुआ कि बच्चा और मां दोनों की हालत खराब होने लगा, मां को और दम लगाने की शक्ति नहीं रहा, वह बेहोश की हालत में जाने लगी, अंत में भाभी डर जाती है वह फोर 3 बजे अपने पति को दाई के घर भेजती है, दाई आकर जब दुल्हन की हालत देखती है तो वह केश अपने हाथ में लेने को तैयार नहीं, अस्पताल ले जाने की सलाह देती है, देर हुई तो अनर्थ हो जायेगा,तब जाकर चिंटू गाड़ी करके अपनी पत्नी को, भाभी के साथ लेकर सरकारी अस्पताल जाता है, जो यहां से एक घंटा की दूरी पर है, गाड़ी के धक्कों के बीच मरीज का बिताया हुआ एक घंटा बहुत नुकशान साबित होता है, मरीज की हालत और खराब हो जाती है,
अस्पताल पहुंचने पर मरीज की ऐसी हालत देख, डाक्टरों का गुस्सा सातवें आसमान पर, वो चिंटू से पेपर पर साइन करा लेते है कि मरीज की ऐसी हालत के जिम्मेदार वो है, फिर O.T में आंपरेशन कर मरे हुए बच्चे को बाहर निकालते है, बाहर खड़ी भाभी और चिंटू दोनों डरे हुए है,God की प्रार्थना किये जा रहे है, आधा घंटा बाद डाक्टर बाहर आता है,
चिंटू........ डॉक्टर बाबु,
डॉक्टर...... बहुत देर हो चुका था, दोनों की जान आपके कारण चली गई,
चिंटू........( रोने लगा)
डॉक्टर...... रोने से क्या होगा, बच्चे को जन्म देना, मां का नया जन्म होता है, अक्ल कब आयेगी, आपने
पत्नी और बेटा दोनों खोया है, रोना तो जिंदगी भर है,
चिंटू जब सुना कि बेटा था, उसका रोना और जोर हो जाता है, भाभी चुप कराती है, बाकी के पेपर पर साइन कर, वह दोनों लाशों को घर लाता है, चारों तरह इस दुःखद समाचार को भेजा जाता है, दुल्हन के मम्मी-पापा, सास-ससुर आते है, सब रोते है, ये सोचकर की भगवान की यही मर्जी थी, जब की सच तो यह है कि सभी के लापरवाही के कारण, आज ये दिन देखने पड़ रहे है,उसके बाद बाकी के विधि को किया जा रहा है, लड़कीवाला अपनी बेटी की अंतिम विवाई करके चला जाता है,
साल बितने की देरी नहीं, चिंटू की दूसरी शादी के लिए, लड़कीवाले आना शुरू कर देते है, आंठवी फेल चिंटू को दंशवी पास लड़की के साथ रिश्ता तय कर दिया जाता है, शादी भी धूम-धाम से हो जाती है, बेचारे चिंटू के पास पीने के लिए, कभी खुशी कभी गम दोनों ही बहाने है, आज भी चिंटू पीकर कहीं पड़ा हुआ है, यह रोज का काम है, पति-पत्नी का अनबन आम बात है, इस बार की दुल्हन' गाय 'नहीं है, चिंटू एक गाली देता है तो वो चार गाली देती है, एक दिन चिंटू इसे एक थप्पड़ मारा तो यह अपने बचाव में उसे डंटा से पीटकर कमरे से बाहर कर कमरा बंद कर ली, इस बार जैसे को तैसा मिला है,
चिंटू को समझ में आ गया कि अब सुधरना होगा, वर्ना घर बसने वाला नहीं, वह पहले से कम पीने लगा, सारा दिन काम करता, शाम के बाद पिता, शादी के एक साल बीतता है, चिंटू की पत्नी मां बनने वाली है,
दूसरे महीने में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चिंटू........ मैं चाहता हूं कि तुम्हारा सोनोग्राफी होता, ताकि हमें पता चल जाता कि आने वाला बच्चा बेटा
या बेटी है,
पत्नी......... आपका दिमाग खराब है, मैं नहीं जानता चाहती, मेरा 1st बच्चा भगवान का उपहार है,
बेटा-बेटी से मुझे फर्क नहीं पड़ता,
चिंटू........ तुमसे बात करना बेकार है,
पत्नी...... जी, तो मत करे, ऐसी बाते,
कुछ दिन बात, पांचवे महीने बाद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चिंटू......... एक बात बोलूँ, मानोंगी
पत्नी........ क्या, बोलों
चिंटू......... मेरा एक दोस्त है, जो ओझा है, उससे अपना हाथ दिखाओगी,
पत्नी........ क्यों,
चिंटू......... वो बता देगा कि गर्भ में क्या है,
पत्नी...... आप का दिमाग काम करना बंद कर दिया है, हाथ देखकर कोई नहीं बता सकता,
चिंटू........ ऐसा नहीं है, वो सच में बता देता है, मेरी पहली पत्नी को लड़की होने वाला था, वह पूजा-पाठ
करके उसे बदल दिया, सच में बेटा हुआ पर मेरी किस्मत खराब कि मां-बेटे दोनों को मैं नहीं
बचा पाया,
पत्नी........ आपको ठगा गया है, ऐसा नहीं होता, एक दिन का गर्भ ही निर्धारित कर देता है कि गर्भ में
लड़का या लड़की पलने वाला है, इसे फिर कोई नहीं बदल सकता, इंसान तो क्या, भगवान भी
नहीं,
चिंटू.......... मुझे नहीं ठग सकता,
पत्नी......." अक्ल कब आयेगी"
Rita Gupta.