आंखों की अपनी भाषा होती है...................

आंखों की अपनी भाषा होती है...................

एक समय की बात है, मुझे अपनी ननद की,एक साल की बेटी को रानीगंज मारवाड़ी अस्पताल से अंडाल, उसके घर पहुंचाने का काम दिया गया, मैं अपने 12 साल के बेटे के साथ बर्नपुर से रानीगंज गई, वहां मेरी ननद अपनी बेटी के साथ भर्ती थी, वहां पहुंचकर डाक्टर से छुट्टी लिया, फिर हम चारों रेक्शा कर के जल्दी से रेलवे स्टेशन पहुंचे,

ननद...... भाभी, टिकट मत लो,

मैं.......क्यों,

ननद....... एक स्टेशन भी नही है, रानीगंज में चढ़ना है, फ़िर ट्रेन रुकी अंडाल, कोई चेकिंग नही होगा,

मैं.......... तुम्हें कानून से डर नही लगता, टिकट लेना होगा,

ननद...... आप, डरपोक हो,

बेटा...... हां, बुआ, मम्मी बहुत डरती है,

ननद.....हमें तो डर नही लगता,

बेटा......... देखना बुआ, मम्मी में हिम्मत नही, ट्रेन में बिना टिकट के चढ़ने का,

( दोनों मुझे देख-देख हंसते है)

मैं भी सोच में पड़ गई, सोचने पर अपने पास एक प्लस पोयंट पाया, मैंने भी हिम्मत दिखाया टिकट नही ली, चलो जो होगा, देखा जायेगा,

थोड़ी देर बाद ट्रेन आती है, हम ट्रेन में जाकर देखते है तो सिट भी मिल जाती है, अचानक याद आया यह तो (Express train) है, ट्रेन चले,2 मिनट भी नही हुआ, सामने काले कोट में खड़े इंसान को देख, मेरी ननद और बेटा मेरी तरफ देखते है, अब क्या होगा..........

टिकट मास्टर........ टिकट,

मैं.............. सर, एक गलती हों गई,

टिकट मास्टर........... क्या हुआ,

मैं.............. ट्रेन आ चुकी थी, हमने टिकट नही ली,

टिकट मास्टर.......... कितने लोग है,

मैं............... सर, तीन

टिकट मास्टर......... आप, तीन लोगों का 350 into 3=1050 Rs निकालिये,

मैं............... क्यों सर, इतना कैसा,

टिकट मास्टर......... आपको कहां जाना है,

मैं............... अंडाल,

टिकट मास्टर.........जहां से ट्रेन आ रही है , वहां से अंडाल तक का (Express train) का भाड़ा, और

                          फाइन मिलाकर इतना ही होता है,

मैं......... सर,मैं तो रानीगंज से ट्रेन पर चढ़ी, ये देखिये अभी का अस्पताल से छुट्टी लिया हुआ, पेपर,

टिकट मास्टर...........ok, तो आप,60 into 3=180 rs लगेगा,

मैं.............. सर, टिकट लेने के लिए, 20 rs रखा था, वो है, आपको चाहिये तो मैं दे सकती हूं,

टिकट मास्टर.........( गुस्साते हुए नजरों से देखते हुए) मैं आगे टिकट देखता हूं, आप पैसा निकालो,

“वो आगे बढ़ गये”

10 मिनट बाद अंडाल स्टेशन आ गया, ट्रेन रुकी हमसब जल्दी उतर गये,

बेटा........ मम्मी देखो, टिकट मास्टर भी नीचे उतरे है और इधर ही देख रहे है,

"मेरी झुकती हुई नजरों ने उन्हें thanks कहा,मानों उनकी नजरे बोल रही है  It,s ok."

                                                                                                 Rita Gupta.