नहीं बचा पाई " उसे "

नहीं बचा पाई " उसे "

तिवारी जी------------- पिंकी के पापा,

श्रीमती जी------------- मम्मी,

विनय तिवारी----------- भाई,

श्रीमती अनु------------ भाभी,

विनी कुमारी-------------- पिंकी की भतीजी,

पिंकी तिवारी जी की बड़ी बेटी है, जिसकी शादी 30 साल पहले हो चुकी है, मायके और ससुराल एक ही शहर में होने से, वो मायके के हर खुशी-गम में उनके साथ होती है, उसे दो परिवारों के बीच ताल-मेल, बनाकर चलना पड़ता है, उनकी छोटी बेटी का ससुराल दूर है, वो आते-आते आती है, वह मायके से दूर क्या है दिल से भी दूर होते जा रही है, इस दूरी की वजह किसे माना जाय, ये ऐसा सवाल है जिसका जबाब नहीं.......................

एक दिन सुबह पिंकी नहाने गई थी, आधा घंटा बाद नहाकर जब घर में आती है तो अपने मोबाइल पर 10 missed call देखकर हैरान होती है, वह call back करती, तब तक फिर से call आ जाता है,

पिंकी........ हेलो,

अनु.........(रोते हुए) दीदी आप बचा लो,

पिंकी........ क्या हुआ,

अनु........ उसे बचा लो, सब मारना चाहते है,

पिंकी........ तुम रोना बंद करो, किसको बचाना है,

अनु........ मेरी बेटी को,

पिंकी......... क्या हुआ, विनी को,

अनु.......विनी ठीक है दीदी,

पिंकी......... तो,

अनु...... मेरी होने वाली बेटी को, कल सोनोग्राफी हुआ, आपके भाई डाक्टर को रुपया देकर पता कर लिए,

            चार महीने के गर्भ में, मेरी बेटी है,

पिंकी......... तुम रोओ मत, तुम्हारी बेटी को कुछ नहीं होगा, मैं बचाउंगी उसे,

अनु.......... दीदी आ जाओ, मेरी कोई नहीं सुन रहा,

पिंकी......... मैं आ रही हूं,

“ पिंकी जल्द से अपने घर का काम कर, मायके जाती है, उसे देख मम्मी-पापा आवाक् हो जाते है, क्योंकि पिंकी हमेशा अपने पति के साथ ही, शाम के समय घंटाभर के लिए जाती, आज दोपहर के समय, वो भी अकेली, कोई बात तो है, वो मम्मी-पापा का पैर छू, घर में जाती है, अनु से मिलकर पूरी बात को समझती है, फिर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

पिंकी............ पापा, मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी,

तिवारी जी...... क्या किया मैंने,

पिंकी........... मम्मी, आप भी औरत होकर बहू की भावनाओं को समझने की जगह, पापा और भाई का

                   साथ दे रही है,

मम्मी....... मुझे कोई आपत्ति नहीं, एक पोती है और एक पोती हो जायेगी,तुम्हारे भाई को बेटा चाहिए,

पिंकी....... भाई कहां है,

मम्मी....... ऑफिस गया है,

पिंकी....... मम्मी-पापा, आप दोनों बड़े हो, भाई को समझाओं कि बेटा या बेटी का जन्म होना उसकी मां

             की हाथ में नहीं होता, आजकल बेटी, बेटा से कम नहीं,

तिवारी जी...... बेटी, बेटी होती है, बेटा तो बेटा है,

पिंकी......... पापा,आपकी ऐसी सोच है,

तिवारी जी........ क्यों, गलत बोल रहा हूं, तुम भी तो कमाती हो, पर हमारी देख-भाल ,तुम्हारा भाई यानि

                     मेरा बेटा करता है, क्यों तुमने तो कभी नहीं कहा----पापा आप हमारे घर चलों, वही

                       रहना, खुद को बेटा मानती हो,

पिंकी....... पापा, भाई समर्थ है, आप दोनों को अपने साथ रखने में, इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा,वर्ना मैं

              अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटती

तिवारी जी........ रहने दो, आज मेरा बेटा नहीं होता तो तुम दोनों बहनें अपने-अपने ससुराल को देखती,

                    हम दोनों बुढ़ा- बुढ़ी यहि पड़े रहते, बेटा तो चाहिए ही,,,,,,,,,

पिंकी...... आप बेटे की चाह में बेटियों की हत्या करते रहोगे, जब तक बेटा ना हो जाय,

तिवारी जी....... तुझे जो समझना है, समझ

पिंकी......... मैं ऐसा नहीं करने दुंगी, ऐसा करना, सामाजिक और कानूनी अपराध है,

तिवारी जी....... आ गई ना, बगावत पर, बेटी जो हो,

पिंकी........ आप ऐसा मत बोलो, हम बेटियाँ अपने घर वालों के लिए, अपनी जान भी देना जानती हूं,

तिवारी जी....... बेटियाँ हमेशा सिरदर्द देती है, बचपन में उनकी रक्षा करने का सिरदर्द, बड़ी हुई तो शादी

                   का सिरदर्द, ससुराल अच्छा नहीं मिला तो सबसे बड़ा सिरदर्द,

पिंकी....... आप ऐसा सोचते है, मेरे बारे में,

तिवारी जी......बेटियों के बारे में कहा, तुम्हें पता भी है कि बेटी की शादी में कितने रूपये खर्च होते है,

पिंकी......... जानती हूं, रुपये तो लगते है,

तिवारी जी...... कुछ नहीं जानती, तुम्हारे तो तीन बेटे है, बेटी की शादी करती तो जानती,

पिंकी.......... अब 'दहेज प्रथा' जोरो पर है, पहले नहीं था,

तिवारी जी....... अब-तब क्या होता है, 30 साल पहले तेरी शादी में 50,000 रुपये खर्च हुए थे,

पिंकी......... सासुजी कहती है कि.......... मात्र 10,000 रुपया दहेज मिला है,

तिवारी जी....... जब बात उठी है तो हिसाब बता देता हूँ,  10,000 रू दहेज दिया,10,000 रु में तेरे गहने

                   और कपड़े,15,000 रु बारात के स्वागत् में,5,000 घर के सजावट का समान दिया,5,000

                   रू शादी में आये मेहमानों मे लगा,5,000 रु का और कुछ-कुछ लगा,

पिंकी........ इसमें मैं क्या कर सकती थी,

तिवारी जी........30 साल पहले,50,000 रु बैंक में fixed ( जमा) होता तो चक्रवृद्धि व्याज की दर से

                    लगभग 50,000 X 2  X  2  X 2  X 2 = 8,00,000 रु  हो जाता,

पिंकी...........( पापा को इस तरह व्याज जोड़ते देख, उसकी आंख में पानी आ जाता है) आपने ये नहीं

                   जोड़ा कि बचपन से मेरे खाने, पढ़ने और दवा में कितना खर्च किया है,

तिवारी जी......... ओ जाने दे,

पिंकी..........नहीं पापा, जब हिसाब हो रहा है तो अच्छें से हो जाय,

तिवारी जी......... तुझे बुरा लगेगा,

पिंकी.......... लगने दो, आज मुझे जानना है,

तिवारी जी.........20 साल की परवरिश में कम-से-कम 5,00,000 रु तो लगा ही होगा,

पिंकी......... हो सकता है, यानि 13,00,000 रु का कर्ज है, मुझ पर

तिवारी जी...... मैने ऐसा नहीं कहा, ये तेरी सोच है,

पिंकी.........(रोते हुए) आप हिसाब करो वो सही,मैं सोचु तो गलत, आज से मेरी आंखों की नींद गायब,

              जब तक आपका 13 लाख रु लौटा नहीं देती, यमराज को भी मेरे कर्ज उतारने का समय देना

               होगा,

मम्मी......... क्यों रो रही है, जैसी तू वैसे तेरे पापा, बाप-बेटी तर्क करके रिश्ते में कड़वाहट पैदा कर लिए,

पिंकी........नहीं मम्मी, जो पापा के दिल में था, वही बाहर आया, मैंने कुछ नहीं किया,

मम्मी.........तु तो पापा की' जान 'है,

पिंकी........' जान ' अनमोल होता है, उसकी किमत नहीं आंकी जाती, पापा के शब्दों ने, मुझे अधमरा कर

              दिया, अब कोई नहीं मेरा, जिंदगी जीने के संघर्ष में मैं अकेली हूं,

तिवारी जी........... तुझे सच कड़वा लगा,

पिंकी....... मुझे माफ करना अनु, जो खुद अधमरा हो, वो किसी को क्या बचायेगा,

अनु......... दीदी,

पिंकी....... तुम्हें खुद अपनी बेटी को बचाना होगा, मुझे माफ करो,(मैं जा रही हूं )

पिंकी अपने ससुराल आकर जी भर कर रोती है, उसे पता है, पापा और भाई की मर्जी चलती है, अनु असमर्थ है, मैं भी नहीं बचा पाई 'उसे'

                                                                                                                Rita Gupta.