गलती से सीखा

गलती से सीखा

दो अजनबी के वार्तालाप से, दिल ने 38 साल की उम्र में फैसला किया, जो हुआ वो अब किसी " प्रेमी जोड़े " के साथ नहीं होना चाहिए, बात उस समय कि है, जब मैं लोकल ट्रेन से कही जा रही थी, रविवार का दिन, ट्रेन में सामान्य भीड़ थी,मैं खिड़की के पास बैठे, सोने की कोशिश कर रही थी, पास बैठे एक प्रेमी जोड़ा आपस में बाते कर रहे थे,

देव....... क्या यार, तुम्हारी माँ, पता नहीं क्या-क्या सवाल करेगी ?

सुरू....... डरते क्यों हो, मां अपना दामाद किसी को तो, नहीं बना लेगी, उनका अधिकार है कि उनकी बेटी

           जिसे प्यार करती है, क्या वो उनकी बेटी के काबिल है,

देव...... प्यार, हम दोनों किये है, शादी कर तुम्हें अपने घर ले जाऊंगा, तुम्हें कोई शक है,मेरे प्यार पर

सुरू....... नहीं, पर ले कहाँ जाओगे ?

देव....... अपने मम्मी-पापा के पास, हम दोनों उनके साथ रहेगे,

सुरू....... और मेरे मम्मी-पापा.............................

देव....... वो, अपने घर पर रहेगे,

सुरू....... नहीं यार, वो मेरे बिना नहीं रह सकते, मेरे सिवा उनका कोई नहीं,

देव...... हर लड़की शादी के बाद, मायका छोड़ ससुराल जाती है, इसमें नया क्या है ?

सुरू....... मैं एकलौती संताल हूं, उन्हें अकेला नही छोड़ सकती, हम दोनों नौकरी करते है, ऐसा करते है,

           दोनों मम्मी-पापा को अपने साथ रखते है, हम-सब छः लोग हंसी-खुशी से रहेंगे,

देव........ तुम्हारा दिमाग खराब है, ऐसा नहीं हो सकता, उनके विचार नहीं मिलेगे, देखोगी हम दोनों

           दिन-भर का थका-हारा घर लौटेगे और इन चारों का शिकवा-शिकायत शुरू

सुरू....... तो एक काम करो, तुम मुझसे प्यार करते हो ना, अपने मम्मी-पापा को छोड़कर हमारे साथ

            रहना,

देव....... घर जमाई बनाना चाहती हो, मेरे मम्मी-पापा मेरे लिए इतना कुछ किये है, बुढ़ापे में मैं उन्हें

          अकेला छोड़ दूं, ये नहीं हो सकता,

सुरु..... तुम कितने स्वार्थी हो, अपना फर्ज पूरा करना चाहते हो और मुझे फर्ज से मुंह मोड़ने के लिए

          मजबूर कर रहे हो,

देव........ मैं बेटा हूं, मेरा फर्ज ज्यादा जरूरी है,

सुरू........ अच्छा, बेटी होने के नाते, मेरा कोई फर्ज नहीं, सिर्फ एक कारण बताओ जिससे ये पता चले कि

            तुम्हारा फर्ज ज्यादा बड़ा है, क्या तुम्हारी मां, मेरी मां से ज्यादा दिन तक गर्भ में रखी थी, क्या

           तुम्हें खाना खिलाकर बड़ा किया गया और मैं हवा पीकर बड़ी हो गई, तुम्हें जितना शिक्षित किया

           गया उतनी ही शिक्षा मिली है,Plz बताओं ना, मेरे मम्मी-पापा ने कौन से कर्तव्य का पालन नहीं

           किया, जिसकी सजा के दौर पर, मैं उन्हें अकेला छोड़ दूं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

देव........ तुम बात को बढ़ा रही हो, मां से तो हम बाद में मिल लेगे, पहले ये बताओं कि तुम शादी के बाद

          मेरे मम्मी-पापा के साथ रहेगी ना ,,,,,,,,,,,,

सुरू........नहीं,

देव........ क्या, यहि तुम्हारा प्यार है,

सुरु....... मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूं,

देव........ मान लो, मेरी बात, तुम्हारे मम्मी-पापा अकेले रह लगे, मेरे मम्मी को अपना मम्मी और पापा

             को अपना पापा जैसा मान-सम्मान दोगी तो वो भी तुम्हें बेटी का प्यार देगे,

सुरू........ मेरे मम्मी-पापा से, तुम्हारा भी कोई रिस्ता होगा, वो भूल गये,तुम्हारा छोटा भाई भी है, जो

             उनकी देखभाल कर सकता है,

देव........ एक बार बोल दिया, मैं अपने मम्मी-पापा को नहीं छोड़ सकता, तुम्हें ही उनके साथ रहना होगा,

सुरू........ मैं भी नहीं छोड़ सकती,

देव........ यहि तुम्हारा अंतिम फैसला है, एक बार सोच लो, तुम अपने जीद के लिए मुझे छोड़ रही हो,

सुरू........ यहि आरोप मैं तुम पर लगा सकती हूं,

देव....... जब हम दोनों अपना-अपना फर्ज नहीं छोड़ सकते तो अपना प्यार ही छोड़ना होगा, मैं अगले

           स्टेशन पर उतर जा रहा हूं, अब तुम्हारी मम्मी से क्या मिलना,

“ 10 मिनट बाद, अगला स्टेशन आता है, देव उतर जाता है, दोनों एक-दूसरे से आंखों की भाषा में बहुत कुछ बोल रहे थे, जुबान खामोश था, कुछ देर में ट्रेन चल पड़ती है, आगे बढ़ती हुई ट्रेन, दोनों प्रेमी के बीच की दूरी को बढ़ाये जा रही थी, सुरु की आंखे, देव की जुदाई में आंसूओं से भर गई, वह उठकर वहां से चली गई "

उस दिन मेरे 38 साल वाले दिल ने फैसला कि जो हाल इन दो प्रेमी का हुआ, किसी और के साथ ना हो, मैं भी बुढ़ी होकर, कही अपने बेटे के लिए, फर्ज के नाम पर उसके पैर की बेढ़ी ना बन जाऊ, मैं अपने बेटे को देव के जैसा मजबूर नहीं देख सकती,

" मैं Old Age Home (वृद्धा आश्रम) का समर्थन करती हूं, बचपन से पल रहे, इस सपने को इस घटना ने मानों, ' आग को हवा देने ' का काम किया "

 

                                                                                            Rita Gupta.