जान ले ली" Marksheet " ने

जान ले ली" Marksheet " ने

इंसान की पहचान, एक कागज के टुकड़ों में सिमट के रह गया है, जिसे हम marksheet के नाम से जानते है, कितने अफसोस कि बात है कि कामयाबी की चाह में,हम किस ओर जा रहे है, हमे भी नहीं पता, काश किसी के marksheet से उसके आचरण, स्वभाव, सदाचार, सब्र, विनम्रता, आदि का पता चल सकता, सोचने वाली बात यह है कि इसी कागज के टुकड़े को इकट्ठा करने की होड़ में हम इंसान सबकुछ खोते जा रहे है, सिर्फ इसलिए कि एक' अच्छी नौकरी ' मिल सके,

यह सच्ची कहानी, यह सोचने पर मजबूर करती है कि, क्या marksheet जान से ज्यादा किमती था,

रोहित और मोहित दोनों भाई, हमेशा पढ़ाई में, एक-दूसरे को पीछा करके बहुत खुस होते है, कभी रोहित 1st आता तो कभी मोहित 1st आता,रोहित अपने भाई से 5 साल बड़ा है, रोहित 10 वी की परीक्षा के बाद से पढ़ाई के अलावा खेल-कूद में ध्यान लगा देता है, जिसका असर पढ़ाई पर पड़ता है, जिसके कारण वह घर में सबसे डाट सुनते रहता है,

मोहित भैया वाली गलती नहीं दोहराता, उसे पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं दिखता, यहां तक कि बहुत से लोग उसको पहचानते भी नहीं है कि वह रोहित का छोटा भाई है, हर कक्षा में 1st आते हुए,B.A तक की पढ़ाई पूरी करता है,I.I.T का कोर्स भी करता है, साथ में computer का भी कोर्स करता है, घर के लोग उनके Marksheet को देखकर बहुत खुश है, वह अपने  Marksheet को जान से ज्यादा संभाल कर रखता है,

रोहित 12वी से ज्यादा नहीं पढ़ पाया, इसलिए वह D ग्रेट की नौकरी की चेष्टा करता है, वहि मोहित की पढ़ाई पूरी होते ही, नौकरी मिल जाती है, छोटा होते हुए भी, बड़े भाई से पहले नौकरी ले लेने की खुशी से ज्यादा ही खुश है, नौकरी के लिए उसे सिलीगुड़ी जाना पड़ा, अपने सारे marksheet साथ ले जाता है, कब किसकी जरूरत पड़ जाय,

अभी नौकरी लगे छः महीने हुए होगा, वेतन लगभग 25,000 रू है, अच्छें पोस्ट की चाह मे,मोहित अब भी पढ़ाई का साथ नहीं छोड़ा है, अगर एक और परिक्षा निकाल लेता है तो उसका पोस्ट ऊंचा हो जायेगा, और वेतन 35,000 रू हो जायेगा,

अपने बाकी दोस्तों की तरह नौकरी के बाद, मस्ती करने की जगह अब भी उन्ही किताबों में खोआ रहता है, दोस्त उसका मजाक बनाते है कि तेरा मस्ती का दिन कब आयेगा,

मोहित......... देखो,आप सब संतोषजनक हो अपनी नौकरी से, मैं नहीं, मुझे तो और अच्छा पोस्ट चाहिए,

दोस्त....... अच्छा, लगे रहो,

एक दिन शाम को सब दोस्त बाहर टहलने गये थे, मोहित दो बेडरूम वाले फ्लैट में अपने तीन दोस्तों के साथ रहता है, अचानक पास मे रहने वाले एक लड़के ने मोहित को फोन किया, कि पता नहीं क्यों आप लोगों के कमरे से धुआ निकल रहा है, ऐसी खबर से चारों दोस्त परेशान होकर वहां से दौड़ते-भागते हुए, फ्लैट की ओर आ रहे है,

मोहित सोचता है, आग कैसे लग सकता है, तभी याद आता है कि शाम को घर से निकलने के पहले, भगवान के पास' दीपक ' जलाया था, कही उसी से आगे तो नहीं लग गई, जैसे ही घर पहुंचते है, दरवाजा खोलते है, फटाक से आग की लौं दरवाजे की ओर आ गई, सभी डरकर पीछे हट गये, किसी की हिम्मत नहीं की कमरे में जाकर कुछ बचा सकें, आग बहुत नहीं थी पर कम भी नहीं थी, आग कब कैसे कितना बढ़ जाये, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है,

मोहित अंदर जाने लगा, उसका सारा marksheet उसके अलमारी मे था, सबने मना किया, उसे पकड़ लिया, पर वह सबकी पकड़ को छोड़ा कर अंदर जाने को बेचैन, मोहित रोते हुए चिल्ला रहा है, मैं अपने marksheet के बिना नहीं जी सकता, जबरजस्ती हाथ छुड़ा, कमरे के अंदर चला जाता है,

5 मिनट भी नहीं हुआ कि अचानक जोर का धमाका होता है, खाने बनाने के लिए रखे हुए किरासन तेल और गैंस सिलीडर में आग लग चुका था,

उस धमाके ने अपने साथ मोहित और मोहित का marksheet सबकुछ लेकर चला गया, छोड़ गया उसकी यादों को, अपने-पराये के आंखों में आंसूओं की जलधारा,

घरवालों को ऐसी खबर मिली तो, वह दौड़-भागे अपने बेटे के शहर पहुंचे, ऐसी बदनसीबी की बेटे के अधजले लाश को अंतिम यात्रा में अपना घर, अपना शहर तक नहीं आने मिला, मां  बेटे को अंतिम विदाई नहीं दे पायी, सिर्फ पापा और बड़े भाई ने सिलीगुड़ी में ही उसके दोस्तो के साथ, अंतिम यात्रा में उसका साथ दिया, आज भी मां को विश्वास नहीं होता कि मोहित, कभी नहीं लौटकर आयेगे, आज भी उनकी आंखें अपने मोहित की एक झलक के लिए तरसती है,

                                                                                                           Rita Gupta.